दुकानदार: थैली में पैक करके दू?
संता: नहीं पेन ड्राइव लाया हूँ , उसमे समोसे नाम का फोल्डर बना और उसमें डाल के दे ...
शिव जी :- अजी सुनती हो ..
मेरा त्रिशूल नहीं मिल रहा । देखा है क्या ?
मेरा त्रिशूल नहीं मिल रहा । देखा है क्या ?
पार्वती जी : गणेश लेकर गया है ।
शिव जी :क्यूँ ?
पार्वती जी :किसी ने प्रसाद में "मैगी"
चढ़ा दी है ।
खुद की तरक्की में इतना समय लगा दो,*
_*की*_
*दूसरों की बुराई करने का वक़्त ही ना मिले*
_*की*_
*दूसरों की बुराई करने का वक़्त ही ना मिले*
_प्रगति बदलाव के बिना असंभव है,_
_और जो_
_अपनी सोच नही बदल सकते.._
_वो कुछ नही बदल सकते !!_
_और जो_
_अपनी सोच नही बदल सकते.._
_वो कुछ नही बदल सकते !!_
*आपका दिन शुभ हो*
इसे आसान बनाना पड़ता है.....
कुछ 'अंदाज' से,
तो कुछ
नजर अंदाज से...
तो कुछ
नजर अंदाज से...
🏻 *आपका दिन मंगलमय हो*
पत्नी ने पति से पूछा
पत्नी : अच्छा यह बताओ कि तुम मुर्ख हो या मैं ???
पति : (शान्त मन से)
प्रिये यह बात तो सब लोग
जानते हैं कि तुम अत्यन्त तीव्र
बुद्धि की स्वामिनी हो
इसलिए यह कभी हो ही नहीं
सकता कि तुम किसी मूर्ख
व्यक्ति से शादी करों
छात्र :- सोनिया और सानिया ..
टीचर :- आपके चरण कहाँ हैं भगवन ।
लेकिन हजार
जब तक कि बाकी लोग वहाँ से चले ना जायें..
और वापस आने में 3 दिन लगे ,
वो भी नयी कार से ऐसा क्यों ??
..
..
सरदार जी : माँ ! ये कार बनाने
वाले भी पागल हैं !
आगे जाने के लिए 4 गियर बनाये हैं , और वापस आने के लिए केवल 1 ही रिवर्स गियर बनाया है !
माँ बेहोश !!
•
मूर्ख आदमियों को पत्नियां बहुत सुंदर मिलती हैं,
•
पत्नी--तुम्हें तो मेरी तारीफ़ करने के सिवाय कोई काम नही.
•
पप्पू कार धो रहा था, तभी पास से आण्टी गुजरी आैर पूछा
"कार धो रहे हो"
मूर्ख आदमियों को पत्नियां बहुत सुंदर मिलती हैं,
•
पत्नी--तुम्हें तो मेरी तारीफ़ करने के सिवाय कोई काम नही.
•
"कार धो रहे हो"
"नही पानी दे रहा हूँ,
शायद बडी होकर बस बन जाए..
शायद बडी होकर बस बन जाए..
आण्टी बेहोश..
वह किसी भी चीज की बस
दो बार क़दर करता है
मिलने से पहले और खोने के बाद..
दो बार क़दर करता है
मिलने से पहले और खोने के बाद..
और वापस आने में 3 दिन लगे ,
वो भी नयी कार से ऐसा क्यों ??
..
..
सरदार जी : माँ ! ये कार बनाने
वाले भी पागल हैं !
आगे जाने के लिए 4 गियर बनाये हैं , और वापस आने के लिए केवल 1 ही रिवर्स गियर बनाया है !
माँ बेहोश !
मूर्ख आदमियों को पत्नियां बहुत सुंदर मिलती हैं,
पत्नी--तुम्हें तो मेरी तारीफ़ करने के सिवाय कोई काम नही.
"कार धो रहे हो"
"नही पानी दे रहा हूँ,
शायद बडी होकर बस बन जाए..
शायद बडी होकर बस बन जाए..
आण्टी बेहोश..
इन्सान की फितरत है कि
वह किसी भी चीज की बस
दो बार क़दर करता है
मिलने से पहले और खोने के बाद..
: पत्नी बीमार पति को पीट रही थी।
वह किसी भी चीज की बस
दो बार क़दर करता है
मिलने से पहले और खोने के बाद..
सास ने वजह पूछी।
पत्नी : जी आयुर्वेदिक दवाई लायी थी।
वैद्य जी ने कहा था, अच्छे से कूट के देना।
लड़का बाईक से लड़की के सामने जोर से
गिरा
और शर्मिंदगी से फौरन खड़ा हो गया
.
.
लड़की : ओह माई गॉड, आपको लगी तो
नहीं ?
.
लड़का : नहीं मै बाईक से ऐसे ही उतरता हूँ।
गिरा
और शर्मिंदगी से फौरन खड़ा हो गया
.
.
लड़की : ओह माई गॉड, आपको लगी तो
नहीं ?
.
लड़का : नहीं मै बाईक से ऐसे ही उतरता हूँ।
एक छोटे बालक को आम का पेड बहोत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो तुरंत आम के पेड के पास पहुंच जाता। पेड के उपर चढना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया मे ही सो जाना। बालक और उस पेड के बीच एक अनोखा संबंध बंध गया था।
*
बच्चा जैसे जैसे बडा होता गया वैसे वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया।
कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।
आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता रहता।
एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी और आते देखा। आम का पेड खुश हो गया।
*
बालक जैसे ही पास आया तुरंत पेड ने कहा, "तु कहां चला गया था? मै रोज़ तुम्हे याद किया करता था। चलो आज दोनो खेलते है।"
बच्चा अब बडा हो चुका था, उसने आम के पेड से कहा, अब मेरी खेलने की उम्र नही है। मुझे पढना है,
पर मेरे पास फी भरने के लिए पैसे नही है।"
पेड ने कहा, "तु मेरे आम लेकर बाजार मे जा और बेच दे,
इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।"
*
उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम उतार लिए, पेड़ ने भी ख़ुशी ख़ुशी दे दिए,और वो बालक उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया।
*
उसके बाद फिर कभी वो दिखाई नही दिया।
आम का पेड उसकी राह देखता रहता।
एक दिन अचानक फिर वो आया और कहा,
अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी शादी हो चुकी है, मेरा संसार तो चल रहा है पर मुझे मेरा अपना घर बनाना है इसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।"
*
आम के पेड ने कहा, " तू चिंता मत कर अभी में हूँ न,
तुम मेरी सभी डाली को काट कर ले जा,
उसमे से अपना घर बना ले।"
उस जवान ने पेड की सभी डाली काट ली और ले के चला गया।
*
आम का पेड के पास कुछ नहीं था वो अब बिल्कुल बंजर हो गया था।
कोई उसके सामने भी नही देखता था।
पेड ने भी अब वो बालक/ जवान उसके पास फिर आयेगा यह आशा छोड दी थी।
*
फिर एक दिन एक वृद्ध वहां आया। उसने आम के पेड से कहा,
तुमने मुझे नही पहचाना, पर मै वही बालक हूं जो बारबार आपके पास आता और आप उसे हमेशा अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।"
आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा,
"पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुझे दे सकु।"
वृद्ध ने आंखो मे आंसु के साथ कहा,
"आज मै कुछ लेने नही आया हूं, आज तो मुझे तुम्हारे साथ जी भरके खेलना है, तुम्हारी गोद मे सर रखकर सो जाना है।"
*
ईतना कहते वो रोते रोते आम के पेड से लिपट गया और आम के पेड की सुखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी।
*
वो वृक्ष हमारे माता-पिता समान है, जब छोटे थे उनके साथ खेलना अच्छा लगता था।
जैसे जैसे बडे होते गये उनसे दुर होते गये।
पास तब आये जब जब कोई जरूरत पडी, कोई समस्या खडी हुई।
आज भी वे माँ बाप उस बंजर पेड की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है।
आओ हम जाके उनको लिपटे उनके गले लग जाये जिससे उनकी वृद्धावस्था फिर से अंकुरित हो जाये।
यह कहानी पढ कर थोडा सा भी किसी को एहसास हुआ हो औरअगर अपने माता-पिता से थोडा भी प्यार करते हो तो...
माँ बाप आपको सिर्फ प्यार प्यार प्यार देंगे |
*
बच्चा जैसे जैसे बडा होता गया वैसे वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया।
कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।
आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता रहता।
एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी और आते देखा। आम का पेड खुश हो गया।
*
बालक जैसे ही पास आया तुरंत पेड ने कहा, "तु कहां चला गया था? मै रोज़ तुम्हे याद किया करता था। चलो आज दोनो खेलते है।"
बच्चा अब बडा हो चुका था, उसने आम के पेड से कहा, अब मेरी खेलने की उम्र नही है। मुझे पढना है,
पर मेरे पास फी भरने के लिए पैसे नही है।"
पेड ने कहा, "तु मेरे आम लेकर बाजार मे जा और बेच दे,
इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।"
*
उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम उतार लिए, पेड़ ने भी ख़ुशी ख़ुशी दे दिए,और वो बालक उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया।
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उसके बाद फिर कभी वो दिखाई नही दिया।
आम का पेड उसकी राह देखता रहता।
एक दिन अचानक फिर वो आया और कहा,
अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी शादी हो चुकी है, मेरा संसार तो चल रहा है पर मुझे मेरा अपना घर बनाना है इसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।"
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आम के पेड ने कहा, " तू चिंता मत कर अभी में हूँ न,
तुम मेरी सभी डाली को काट कर ले जा,
उसमे से अपना घर बना ले।"
उस जवान ने पेड की सभी डाली काट ली और ले के चला गया।
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आम का पेड के पास कुछ नहीं था वो अब बिल्कुल बंजर हो गया था।
कोई उसके सामने भी नही देखता था।
पेड ने भी अब वो बालक/ जवान उसके पास फिर आयेगा यह आशा छोड दी थी।
*
फिर एक दिन एक वृद्ध वहां आया। उसने आम के पेड से कहा,
तुमने मुझे नही पहचाना, पर मै वही बालक हूं जो बारबार आपके पास आता और आप उसे हमेशा अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।"
आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा,
"पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुझे दे सकु।"
वृद्ध ने आंखो मे आंसु के साथ कहा,
"आज मै कुछ लेने नही आया हूं, आज तो मुझे तुम्हारे साथ जी भरके खेलना है, तुम्हारी गोद मे सर रखकर सो जाना है।"
*
ईतना कहते वो रोते रोते आम के पेड से लिपट गया और आम के पेड की सुखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी।
*
वो वृक्ष हमारे माता-पिता समान है, जब छोटे थे उनके साथ खेलना अच्छा लगता था।
जैसे जैसे बडे होते गये उनसे दुर होते गये।
पास तब आये जब जब कोई जरूरत पडी, कोई समस्या खडी हुई।
आज भी वे माँ बाप उस बंजर पेड की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है।
आओ हम जाके उनको लिपटे उनके गले लग जाये जिससे उनकी वृद्धावस्था फिर से अंकुरित हो जाये।
यह कहानी पढ कर थोडा सा भी किसी को एहसास हुआ हो औरअगर अपने माता-पिता से थोडा भी प्यार करते हो तो...
माँ बाप आपको सिर्फ प्यार प्यार प्यार देंगे |
गाँव में_ ओ.....गोलिया
डूंगा पर खा गे मानगो के
डूंगा पर खा गे मानगो के
दुकानदार - औऱ क्या चाहिये
पप्पु - सरकारी नौकरी लगवा दे
वेजिटेरियन ऑर नॉन वेजिटेरियन?
,,
लालू: आई एम इंडियन।
,
एयर होस्टेस: नो, नो सर, यू आर
शाकाहारी और मांसाहारी?
.
लालू: आई एम बिहारी।
लेकिन..
..
खाँसी और दस्त
एक साथ होने जैसी सजा भगवान किसी को ना दे...!!
एक साथ होने जैसी सजा भगवान किसी को ना दे...!!
आज से तुम्हारा खेलना और टीवी देखना बंद.
बेटा : यह 100 रुपय पकड़ोऔर इस बात को यही दबा दो….....
हाँ बेटा, है ना !
स्वच्छ भारत अभियान को समर्पित !
दिल में बहुत सकून होता है
.
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की मैं अकेला ही फुर्सत में नहीं बैठा हूँ
धंधा इनके पास भी नहीं है
होटल समझ क़र अदालत में चले गए
.
.
सामने बेठा जजः बोला
ऑडर ऑडर...
हमने भी बोल दिया एक सलाद और दो क्वार्टर...
डॉक्टर- तो अब क्या ?
सरदार - आपने नहाने को मना किया था,
आज इधर से गुजर रहा था तो सोचा कि पुछता चलू ..
आज इधर से गुजर रहा था तो सोचा कि पुछता चलू ..
"अब नहा लूँ क्या" ??
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